shiv chalisa lyrics pdf - An Overview
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भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
दानिन महं तुम सम read more कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥